Motivational Poem in Hindi

Motivational Poem in Hindi : कभी कभी ज़िन्दगी में बहुत निराशा होती है ज़िन्दगी के उतर चदाव ही ऐसे होते हैं इंसान कभी न कभी उदास महसूस करता है उसी उदासी को दूर करने के लिए हमने यह प्रेरणादायक हिन्दी कविता (Motivational Poem ) लिखी है जिससे आप फिर से अपनी उदासी को दूर करके अपने लक्ष्य को पाने के लिए तेयार हो जाओ |

Motivational Poem in Hindi – प्रेरणादायक हिन्दी कविता

हम तो हम हैं

इस बात में कितना दम है

एक बार अपने को पहचान कर तो देखो

अन्दर छुपे शेर को निकालकर तो देखो

आप भी कहोगे , हम तो हम हैं

इस बात में कितना दम है |

अपने को कम और दुनिया को ज्यादा जानते हो

दुनिया को अपनी नज़र से

अपने को दुनिया की नज़र से पहचानते हो

एक बार खुद को , खुद की नज़रों से देख कर तो देखो

खुद भी कहोगे , हम तो हम हैं इस बात में कितना दम है |

प्रेरणादायक हिन्दी कविता:  पीछे हटना नही

प्रेरणादायक हिन्दी कविता

मुश्किल से कभी दोस्तों डरना नही |

लाख तूफान हों पीछे हटना नही |

दर्द साइन का तो है ज्यादा तेरा |

खुशियाँ होंगी सदा ये है वादा मेरा |

हिम्मतो से ए दोस्त आगे बढ़ते चलो |

मुश्किलों के in पहाड़ पे चढ़ते चलो |

मन में विश्वास और कुछ भी करना नही |

लाख तूफान हो पीछे हटना नही |

कुछ की ममता को बदल उड़ा ले गया |

कुछ का सिंदूर सावन बहा ले गया |

आँख तो फिर भी नाम रहेगी सदा उनकी यहाँ |

फिर भी तनहा अपने को समझना नही |

लाख तूफान हो पीछे हटना नही |

ज्योत से ज्योत दिल की जलाते रहो |

प्रेम दुसरे पर लुटाते रहो |

कंधो पे बोझ लाख हो गिरना नही |

लाख तूफान हो पीछे हटना नही |

Self Motivational Poems in Hindi

लक्ष्य नही जिनके जीवन का

वो ऐसे ही रह जाते हैं

जेसे लाखो हजारो पत्ते , दरिया में बह जाते हैं

सफलता उन्ही को मिलती है

जिनके सपनो में जान होती है

पंख से कुछ नही होता

होंसले से उड़ान होती है

कोन पुहंचा है अपनी आखरी मंजिल तक

हर किसी के लिए थोडा आसमान बाकी है

ये तुझको लगता है तू उड़ान के काबिल नही

जज़्बा कहता है तेरे पंखो में उड़ान बाकी है

निराशो में आस पैदा करता है

दिलो में विश्वास पैदा करता है

मिटटी की तो बात अलग है

ईश्वर तो पत्थरों में कोमल घांस पैदा करता है |

Motivational Poem in Hindi- प्रेरणादायक हिन्दी कविता

जो करना था वो नही किया

क्योँ कर्म से कतराते हो

खुद दूर खड़े हो मंजिल से

और मंजिल दूर बताते हो

जब चले वक़्त के साथ नही

फिर पीछे क्योँ पछताते हो

बीत रहे हो खुद ही तुम

और बीता वक़्त बताते हो |

तुम न दे पाए पहचान कोई

तुम मस्त रहे हो अपने में

भोगो ने तुमको भोग लिया

तुमने भोग क्योँ बतलाते हो |

इसलिए उठो और उठ कर चल दो

उठकर ही कुछ कर पाओगे

पहुँचोगे जल्दी मंजिल पर

और मंजिल दूर न पाओगे |

Moral Hindi poem for children -सीख देने वाली हिन्दी कविता

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